Overview of Data Analytics Types

डेटा विश्लेषण के 4 प्रमुख प्रकार

डेटा विश्लेषण का परिचय

डेटा विश्लेषण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके द्वारा किसी भी डेटा से उपयोगी जानकारी प्राप्त की जाती है। यह जानकारी निर्णय लेने, प्रदर्शन सुधारने और भविष्य के रुझानों को समझने में मदद करती है। इस लेख में हम डेटा विश्लेषण के 4 प्रमुख प्रकारों के बारे में जानेंगे।

1. वर्णनात्मक विश्लेषण (Descriptive Analysis)

इस विश्लेषण में डेटा का सारांश तैयार किया जाता है ताकि हम वर्तमान स्थिति, रुझान और पैटर्न को समझ सकें। यह **sales**, **performance metrics**, और **customer trends** को जानने में सहायक है।

2. अनुसंधानात्मक विश्लेषण (Diagnostic Analysis)

इस प्रकार के विश्लेषण में यह समझने की कोशिश की जाती है कि डेटा में जो पैटर्न दिखाई दे रहे हैं, उनके पीछे क्या कारण हैं। यह **issues**, **root causes**, और **performance dips** को पहचानने में मदद करता है।

3. पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण (Predictive Analysis)

इस विश्लेषण का उद्देश्य भविष्य के परिणामों का अनुमान लगाना है। यह **trends**, **customer behavior**, और **market forecasts** के आधार पर भविष्यवाणियाँ करने में मदद करता है।

4. प्रेस्क्रिप्टिव विश्लेषण (Prescriptive Analysis)

यह विश्लेषण डेटा के आधार पर सबसे उपयुक्त निर्णय लेने के लिए **solutions** प्रदान करता है, जिससे हम **business strategies** को और बेहतर बना सकते हैं।

वर्णनात्मक विश्लेषण (Descriptive Analysis)

**वर्णनात्मक विश्लेषण** (Descriptive Analysis) डेटा विश्लेषण का पहला और सबसे सामान्य प्रकार है। इस प्रक्रिया में, हम डेटा से सामान्य patterns (रुझान), trends (प्रवृत्तियाँ), और insights (जानकारी) निकालते हैं, जिससे हम यह समझ पाते हैं कि क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य घटनाओं का सारांश तैयार करना और विभिन्न डेटा सेट्स से जानकारी एकत्रित करना है।

उदाहरण के तौर पर, reports, charts, और graphs के माध्यम से हम किसी विशिष्ट डेटा को संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं। इससे न केवल हमें डेटा के अंदर के पैटर्न्स का पता चलता है, बल्कि हम विभिन्न variables (चरों) के बीच संबंध भी पहचान सकते हैं।

**वर्णनात्मक विश्लेषण** के दौरान डेटा को **summarize** (सारांशित) किया जाता है और महत्वपूर्ण संकेतक या **KPI (Key Performance Indicators)** के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है। इसका उद्देश्य डेटा को एक स्पष्ट और संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करना होता है, जिससे निर्णय लेने में आसानी हो।

उदाहरण के तौर पर, sales data (बिक्री डेटा) को लेकर यदि हम विभिन्न महीनों का summary (सारांश) तैयार करें, तो हम देख सकते हैं कि किस महीने में सबसे अधिक बिक्री हुई और किस महीने में कमी आई। इससे हमें यह भी पता चलता है कि क्या बदलाव किया जा सकता है, ताकि भविष्य में अधिक बिक्री हो सके।

**वर्णनात्मक विश्लेषण** के कुछ प्रमुख उदाहरण:

  • Employee Performance: एक कंपनी में कर्मचारियों के प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिए, descriptive analysis का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, महीने के अंत में रिपोर्ट्स तैयार की जाती हैं, जिनसे यह पता चलता है कि कौन से कर्मचारी ने अधिक कार्य पूरा किया, किसे प्रशिक्षण की आवश्यकता है, और कौन से कार्य समय सीमा के अंदर पूरे हुए।
  • Website Traffic Analysis: वेबसाइट पर आने वाले ट्रैफिक को समझने के लिए descriptive analysis का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, यदि एक वेबसाइट पर traffic spike (ट्रैफिक में वृद्धि) देखा जाता है, तो उस समय के दौरान कौन से पृष्ठ अधिक देखे गए, और किस समय में उपयोगकर्ताओं ने सबसे अधिक गतिविधि की, इसका विश्लेषण किया जाता है।
  • Market Trends: market trends (बाजार के रुझान) को समझने के लिए descriptive analysis का उपयोग किया जाता है। जैसे, एक वर्ष के दौरान बिक्री में वृद्धि या गिरावट के रुझान को देखकर कंपनियां अपनी रणनीतियाँ तय करती हैं। उदाहरण के लिए, क्या लोग अधिक डिजिटल उत्पादों की ओर रुझान कर रहे हैं या पारंपरिक उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं?

एक retail store (खुदरा दुकान) का उदाहरण लें। दुकान का sales data (बिक्री डेटा) जब देखा जाता है, तो यह पाया जा सकता है कि January (जनवरी) में सबसे अधिक बिक्री हुई थी, जबकि July (जुलाई) में गिरावट आई थी। इस डेटा के आधार पर, दुकानदार समझ सकता है कि holidays (अवकाश) या festivals (त्योहारों) के दौरान बिक्री अधिक होती है, जबकि गर्मी के मौसम में बिक्री कम होती है। इससे दुकानदार यह निर्णय ले सकता है कि उसे seasonal promotions (मौसमी प्रचार) पर ध्यान देना चाहिए, ताकि बिक्री में वृद्धि की जा सके।

**वर्णनात्मक विश्लेषण** में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख **data visualization** (डेटा विज़ुअलाइजेशन) उपकरण:

  • Reports: Sales reports, financial reports, और performance reviews द्वारा हम संगठन के प्रदर्शन और अन्य महत्वपूर्ण मापदंडों का सारांश प्रदान करते हैं।
  • Charts & Graphs: Bar charts, pie charts, और line graphs का उपयोग विभिन्न डेटा सेट्स की तुलना करने के लिए किया जाता है।
  • Dashboards: कई डेटा रिपोर्ट्स को एकत्रित करने के लिए dashboards का उपयोग किया जाता है, जो निर्णय लेने में तेजी लाते हैं और डेटा को एक साथ प्रस्तुत करते हैं।

**वर्णनात्मक विश्लेषण** के लाभ:

  • Data Clarity: डेटा को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करना जिससे डेटा से त्वरित निर्णय लिए जा सकें।
  • Better Decision-Making: यह निर्णय प्रक्रिया को सरल और सटीक बनाता है।
  • Trend Analysis: भविष्य में होने वाले परिवर्तनों का अनुमान लगाने के लिए रुझानों की पहचान करता है।

**उद्देश्य**: वर्णनात्मक विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य डेटा का सारांश तैयार करना और उसे ऐसे रूप में प्रस्तुत करना है कि जिससे कोई व्यक्ति आसानी से यह समझ सके कि क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है। यह डेटा के सामान्य अवलोकन के रूप में काम करता है, जिससे व्यापार या किसी अन्य क्षेत्र में सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।

अनुसंधानात्मक विश्लेषण (Diagnostic Analysis)

**अनुसंधानात्मक विश्लेषण** (Diagnostic Analysis) डेटा विश्लेषण का दूसरा प्रकार है, जिसका मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि डेटा में जो पैटर्न या घटनाएँ दिखाई देती हैं, उनके पीछे **क्या कारण** हैं। यह विश्लेषण केवल डेटा के वर्तमान स्थिति का अवलोकन नहीं करता, बल्कि इसके द्वारा **root causes** (मूल कारणों) की पहचान करने की कोशिश की जाती है।

उदाहरण के लिए, अगर **sales** (बिक्री) में गिरावट आई है, तो अनुसंधानात्मक विश्लेषण के माध्यम से हम यह पहचानने की कोशिश करेंगे कि इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं। क्या यह **market trends** (बाजार के रुझान) में बदलाव के कारण हो सकता है, या क्या ग्राहक का **behavior** (व्यवहार) बदल गया है, या फिर क्या कुछ बाहरी कारण जैसे **economic factors** (आर्थिक कारण) इसकी वजह हैं?

**अनुसंधानात्मक विश्लेषण** के दौरान उपयोग किए जाने वाले प्रमुख तकनीकें:

  • Data Correlation: डेटा के विभिन्न पहलुओं के बीच सहसंबंध का पता लगाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, क्या **product price** (उत्पाद मूल्य) और **sales volume** (बिक्री की मात्रा) के बीच कोई संबंध है?
  • Root Cause Analysis: यह विधि डेटा में दिख रही समस्याओं या घटनाओं के पीछे के **root causes** (मूल कारणों) का पता लगाने में मदद करती है। उदाहरण स्वरूप, अगर किसी उत्पाद की बिक्री कम हो रही है, तो इसका कारण क्या है — क्या ग्राहक का विश्वास घट गया है, या उत्पाद का प्रचार ठीक से नहीं हुआ?
  • Hypothesis Testing: इसमें हम यह परीक्षण करते हैं कि क्या हमारे द्वारा सुझाए गए कारण वास्तव में समस्या का कारण बनते हैं।

**उदाहरण 1**: एक ई-कॉमर्स कंपनी के पास कई महीने से **low sales** (कम बिक्री) की समस्या है। इस समस्या के कारणों का पता लगाने के लिए अनुसंधानात्मक विश्लेषण का उपयोग किया जाता है। सबसे पहले, कंपनी यह देखती है कि क्या बिक्री में गिरावट विशेष मौसम में आई है, क्या इसकी वजह कोई बाहरी इवेंट्स जैसे **economic downturn** (आर्थिक मंदी) हैं, या क्या ग्राहक का खरीदारी व्यवहार बदल गया है। अंत में, यह पाया जाता है कि **delivery delays** (वितरण में देरी) और **pricing strategy** (मूल्य निर्धारण नीति) में बदलाव के कारण ग्राहकों ने अन्य वेबसाइट्स पर खरीदारी शुरू कर दी थी। इस कारण से कंपनी ने अपनी डिलीवरी प्रक्रिया और मूल्य निर्धारण नीति में सुधार किया और बिक्री में वृद्धि हुई।

**उदाहरण 2**: एक होटल चेन को यह समस्या है कि उसके नियमित ग्राहक संख्या में गिरावट आ रही है। अनुसंधानात्मक विश्लेषण से पता चलता है कि यह गिरावट **competition** (प्रतिस्पर्धा) में वृद्धि के कारण हो रही है। साथ ही, यह भी पाया जाता है कि ग्राहक पहले जैसी **loyalty programs** (निष्ठा कार्यक्रम) से खुश नहीं हैं, और कंपनी की सेवा में भी **quality issues** (गुणवत्ता समस्याएँ) बढ़ रही हैं। इसके बाद, होटल चेन ने अपने निष्ठा कार्यक्रम को फिर से डिज़ाइन किया और सेवा गुणवत्ता को बेहतर बनाया, जिससे ग्राहकों की संतुष्टि बढ़ी।

**अनुसंधानात्मक विश्लेषण** के कुछ प्रमुख लाभ:

  • Problem Identification: यह विश्लेषण समस्याओं की जड़ तक पहुँचने में मदद करता है, जिससे समस्याओं का सही समाधान संभव होता है।
  • Improved Decision-Making: सही कारणों का पता लगाने से निर्णय लेने में आसानी होती है, जिससे रणनीतियाँ अधिक प्रभावी बनती हैं।
  • Cost Efficiency: उचित समाधान पर ध्यान केंद्रित करने से संसाधनों की बर्बादी कम होती है और लागत कम होती है।

**उद्देश्य**: अनुसंधानात्मक विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य **causes** (कारणों) को खोजना और समझना है। यह किसी भी समस्या का समाधान खोजने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। बिना सही कारणों की पहचान के, किसी भी **corrective action** (सुधारात्मक कदम) को उठाना मुश्किल हो सकता है। इस विश्लेषण के बाद, हम न केवल समस्याओं का समाधान पा सकते हैं, बल्कि उन्हें भविष्य में होने से भी रोक सकते हैं।

पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण (Predictive Analysis)

**पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण** (Predictive Analysis) एक प्रकार का डेटा विश्लेषण है जिसका मुख्य उद्देश्य भविष्य में होने वाली घटनाओं का **forecast** (पूर्वानुमान) करना है। इस प्रकार के विश्लेषण में, हम **historical data** (ऐतिहासिक डेटा) और **statistical models** (सांख्यिकीय मॉडल्स) का उपयोग करके भविष्य की घटनाओं के बारे में अनुमान लगाते हैं। यह प्रक्रिया मशीन लर्निंग, डेटा माइनिंग और एलगोरिदम्स के माध्यम से की जाती है। इससे हमें भविष्य में संभावित घटनाओं या परिणामों के बारे में जानकारी मिलती है, ताकि हम सटीक निर्णय ले सकें।

उदाहरण के लिए, **weather forecasting** (मौसम पूर्वानुमान) में यह तकनीक बहुत उपयोगी है। मौसम विज्ञानी पिछले डेटा, जैसे तापमान, नमी, और हवा की दिशा का विश्लेषण करके भविष्य में मौसम की स्थिति का अनुमान लगाते हैं। इसी तरह, **customer behavior prediction** (ग्राहक व्यवहार की भविष्यवाणी) के लिए कंपनियाँ अपने ग्राहकों के पिछले खरीदारी डेटा और ऑनलाइन व्यवहार को ट्रैक करती हैं, ताकि वे भविष्य में ग्राहकों की पसंद और खरीदारी पैटर्न का अनुमान लगा सकें।

**पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण** का उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है। उदाहरण के तौर पर:

  • Healthcare: डॉक्टर और हेल्थकेयर संगठन रोगों के जोखिम का पूर्वानुमान करने के लिए डेटा का उपयोग करते हैं। जैसे, एक व्यक्ति को दिल की बीमारी होने का खतरा होने पर, डेटा विश्लेषण के आधार पर डॉक्टर पहले से उसे सतर्क कर सकते हैं।
  • Finance: बैंक और वित्तीय संस्थान **credit scoring** और **loan approval** में predictive analysis का उपयोग करते हैं। ग्राहक के पिछले लेन-देन और क्रेडिट इतिहास के आधार पर वे भविष्य में उनके द्वारा किए गए लेन-देन का अनुमान लगाते हैं।
  • Marketing: कंपनियाँ अपने ग्राहकों के खरीदारी व्यवहार का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाती हैं कि आने वाले समय में कौन से उत्पाद ज्यादा बिक सकते हैं, और कौन से विज्ञापन अधिक प्रभावी हो सकते हैं।

इस विश्लेषण का उद्देश्य **future outcomes** (भविष्य के परिणाम) का **predict** (पूर्वानुमान) करना है। उदाहरण स्वरूप:

  • Retail industry: एक **retail store** (खुदरा दुकान) के लिए, यह अनुमान लगाना कि कौन से उत्पाद **peak season** (ऊंचे सीजन) में अधिक बिकेंगे, और किसे **discount offers** देने से अधिक बिक्री होगी।
  • Social Media: **social media platforms** जैसे Facebook और Instagram, **user engagement** और **likes** के आधार पर यह अनुमान लगाते हैं कि कौन सा पोस्ट या विज्ञापन ज्यादा **viral** (वायरल) हो सकता है।

**पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण** में इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ प्रमुख **techniques** (तकनीकें) हैं:

  • Time Series Analysis: इसमें हम डेटा के पिछले रुझानों का विश्लेषण करते हैं और उनका उपयोग भविष्य में होने वाली घटनाओं का अनुमान लगाने के लिए करते हैं।
  • Regression Analysis: इसका उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि एक विशेष variable (चरण) दूसरे variable के साथ कैसे संबंधित है, और इसका उपयोग भविष्य में संभावित घटनाओं का अनुमान लगाने में किया जाता है।
  • Machine Learning Algorithms: जैसे Decision Trees, Neural Networks, आदि, जो पैटर्न और डेटा के बारे में निर्णय लेने के लिए सिखते हैं और फिर भविष्यवाणियाँ करते हैं।

**उद्देश्य**: इस विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य भविष्य में संभावित घटनाओं का **predict** (पूर्वानुमान) करना है। इससे कंपनियाँ, संगठन और व्यक्ति भविष्य में संभावित अवसरों और समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें सटीक तरीके से संबोधित कर सकते हैं।

प्रेस्क्रिप्टिव विश्लेषण (Prescriptive Analysis)

**प्रेस्क्रिप्टिव विश्लेषण** (Prescriptive Analysis) डेटा विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण और उन्नत प्रकार है। यह न केवल **future predictions** (भविष्यवाणियाँ) करता है, बल्कि **optimal decisions** (सर्वोत्तम निर्णय) लेने के लिए **solutions** (समाधान) भी प्रदान करता है। इसमें डेटा से यह **recommendations** (सिफारिशें) तैयार की जाती हैं कि किसी व्यवसाय या संगठन को भविष्य में कौन से कदम उठाने चाहिए, ताकि वे अधिक प्रभावी और लाभकारी परिणाम प्राप्त कर सकें।

प्रेस्क्रिप्टिव विश्लेषण का उद्देश्य (Purpose of Prescriptive Analysis)

प्रेस्क्रिप्टिव विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य यह है कि यह न केवल भविष्य का अनुमान लगाता है, बल्कि उस पर आधारित **best course of action** (सर्वोत्तम कार्यवाही) की दिशा भी दिखाता है। यह विश्लेषण संगठनों को यह सुझाव देता है कि वे किस प्रकार अपनी **strategies** (रणनीतियों) में सुधार करें और किन **actions** (क्रियाओं) को अपनाकर वे अपने लक्ष्य को प्रभावी ढंग से प्राप्त कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि एक व्यवसाय अपनी **sales performance** (बिक्री प्रदर्शन) में सुधार करना चाहता है, तो प्रेस्क्रिप्टिव विश्लेषण उसे यह सिफारिश कर सकता है कि उसे **pricing strategy** (मूल्य निर्धारण रणनीति), **marketing campaigns** (विपणन अभियानों), या **customer segmentation** (ग्राहक विभाजन) में बदलाव करना चाहिए। यह विश्लेषण व्यावसायिक निर्णयों में सुधार करने के लिए **data-driven insights** (डेटा-आधारित जानकारी) प्रदान करता है।

प्रेस्क्रिप्टिव विश्लेषण के उदाहरण (Examples of Prescriptive Analysis)

  • Sales Optimization: एक खुदरा व्यवसाय को सलाह दी जाती है कि वह अपने **discounting strategy** (छूट नीति) को बदलकर **seasonal promotions** (मौसमी प्रचार) और **targeted marketing** (लक्षित विपणन) का उपयोग करके अपनी बिक्री को बढ़ा सकता है।
  • Supply Chain Efficiency: एक लॉजिस्टिक्स कंपनी को अपने **inventory management** (सामग्री प्रबंधन) और **delivery routes** (वितरण मार्गों) को **data-driven models** (डेटा-आधारित मॉडल) से अनुकूलित करने के लिए सलाह दी जाती है, ताकि **cost savings** (लागत में बचत) और **delivery speed** (वितरण गति) में सुधार हो सके।
  • Customer Retention: एक ऑनलाइन सेवा प्रदाता को यह सुझाव दिया जाता है कि उसे अपने **customer loyalty programs** (ग्राहक निष्ठा कार्यक्रमों) को और बेहतर बनाना चाहिए और ग्राहकों को **personalized offers** (कस्टम ऑफ़र) प्रदान करना चाहिए, ताकि वे लंबे समय तक जुड़े रहें।

इस प्रकार, प्रेस्क्रिप्टिव विश्लेषण व्यावसायिक निर्णयों को परिष्कृत करने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केवल समस्याओं का समाधान नहीं बताता, बल्कि यह भी बताता है कि किस प्रकार के **strategic changes** (रणनीतिक बदलाव) से संगठन **optimize** (सर्वोत्तम) कर सकता है। इससे व्यवसायों को न केवल वर्तमान समस्याओं को हल करने में मदद मिलती है, बल्कि वे **future-proof** (भविष्य के लिए तैयार) भी हो जाते हैं।

प्रेस्क्रिप्टिव विश्लेषण के लाभ (Benefits of Prescriptive Analysis)

  • Enhanced Decision-Making: यह सटीक और डेटा-आधारित निर्णय लेने में मदद करता है, जिससे निर्णय प्रक्रिया तेज और अधिक प्रभावी होती है।
  • Cost Reduction: व्यवसायों को अनावश्यक खर्चों को पहचानने और कम करने में मदद मिलती है।
  • Optimized Operations: यह व्यवसायों को अपने कार्य संचालन को अनुकूलित करने, संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने, और उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है।

**उद्देश्य:** प्रेस्क्रिप्टिव विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य **optimal decision-making** (सर्वोत्तम निर्णय लेना) और **future planning** (भविष्य की योजना) में मदद करना है। यह न केवल आपको **data-driven recommendations** (डेटा-आधारित सिफारिशें) प्रदान करता है, बल्कि आपको यह भी बताता है कि किस प्रकार के कदम उठाकर आप अपने व्यापार को और बेहतर बना सकते हैं।

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