📈 उत्तराखंड पर्यटन रिपोर्ट 2021–2023: पर्यटक आँकड़े, वृद्धि और क्षेत्रीय असंतुलन

उत्तराखंड, भारत के प्रमुख हिल स्टेट्स में से एक, ने 2021 से 2023 के बीच पर्यटन में जबरदस्त वापसी की। महामारी के कारण भारी गिरावट के बाद, राज्य ने 2023 में 5.4 करोड़ (54 मिलियन) से अधिक पर्यटकों का स्वागत किया — जो पिछले वर्षों की तुलना में तेज़ उछाल था।

लेकिन इन कुल आंकड़ों के पीछे क्षेत्रीय असंतुलन की एक स्पष्ट तस्वीर उभरती है। पर्यटकों का बड़ा हिस्सा कुछ ही ज़िलों में केंद्रित रहा, जिससे कुछ क्षेत्रों में ओवर-टूरिज़्म और अन्य में विकास की कमी जैसी स्थितियाँ बनीं।

🔍 प्रमुख ज़िला-वार आँकड़े (2023)

  • 🏆 हरिद्वार शीर्ष पर रहा — 3.71 करोड़ (37.1 मिलियन) पर्यटकों के साथ, जो पूरे राज्य के 70% से अधिक हैं।
  • 🏙️ देहरादून दूसरे स्थान पर — 61 लाख (6.1 मिलियन) पर्यटकों के साथ, जिसका लाभ कनेक्टिविटी और शहरी सुविधाओं से मिला।
  • 🌊 टिहरी गढ़वाल तीसरे स्थान पर — 38 लाख (3.8 मिलियन) पर्यटकों के साथ, जो टिहरी झील और एडवेंचर टूरिज़्म से प्रेरित रहा।

📌 यह रिपोर्ट आँकड़ों की गहराई से समीक्षा करती है और बताती है कि कैसे गढ़वाल और कुमाऊं दोनों क्षेत्रों में संतुलित पर्यटन विकास की तत्काल आवश्यकता है।

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📈 तीर्थ और एडवेंचर पर्यटन में वृद्धि (2021–2023)

उत्तराखंड ने 2021 से 2023 के बीच तीर्थ यात्रा और साहसिक पर्यटन में जबरदस्त उछाल देखा। यह सेक्शन उन जिलों पर प्रकाश डालता है जहाँ पर्यटन में सबसे अधिक वृद्धि हुई।

🚩 हरिद्वार: तीर्थ पर्यटन में ज़बरदस्त उछाल

  • 2021: 1.27 करोड़ पर्यटक
  • 2023: 3.71 करोड़ पर्यटक
  • वृद्धि: लगभग 3 गुना

हरिद्वार धार्मिक आयोजनों, कांवड़ यात्रा और बेहतर संपर्क सुविधाओं के चलते पर्यटन का मुख्य केंद्र बना रहा। हालांकि, भीड़ प्रबंधन और बुनियादी ढांचे पर दबाव भी बढ़ा है।

🧭 टिहरी गढ़वाल: उभरता साहसिक पर्यटन केंद्र

  • 2021: 4.9 लाख पर्यटक
  • 2023: 38 लाख पर्यटक
  • वृद्धि: 675% से अधिक

टिहरी झील में वॉटर स्पोर्ट्स, पैराग्लाइडिंग और इको-टूरिज्म के चलते साहसिक पर्यटकों का नया पसंदीदा गंतव्य बन रहा है। हालांकि, इसके लिए स्थायी विकास की आवश्यकता भी बनी हुई है।

🛕 केदारनाथ: तीर्थ यात्रा में ज़बरदस्त वापसी

  • 2021: 2.4 लाख तीर्थयात्री
  • 2023: 20 लाख तीर्थयात्री
  • वृद्धि: 8 गुना से अधिक

केदारनाथ में यह वृद्धि बुनियादी ढांचे में सुधार, हेलिकॉप्टर सेवा, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और श्रद्धालुओं की आस्था में वृद्धि के कारण संभव हुई। हालांकि, हिमालयी क्षेत्र की पर्यावरणीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखना बेहद ज़रूरी है।

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🌐 उत्तराखंड में विदेशी पर्यटन: कम आगमन और छूटे हुए अवसर

जहाँ एक ओर उत्तराखंड में घरेलू पर्यटन में लगातार वृद्धि हो रही है, वहीं विदेशी पर्यटकों का आगमन बेहद सीमित है। 2023 में विदेशी पर्यटक कुल पर्यटन का एक बहुत ही छोटा हिस्सा थे — जो एक बड़े अपूर्ण अवसर की ओर संकेत करता है।

📉 प्रमुख विदेशी पर्यटक आगमन आंकड़े (2023)

  • टिहरी गढ़वाल: लगभग 47,000 विदेशी पर्यटक
  • देहरादून: लगभग 26,000 विदेशी पर्यटक
  • कोटद्वार एवं चिल्ला रेंज: संयुक्त रूप से लगभग 22,000 पर्यटक
  • अन्य जिले: न्यूनतम या नगण्य विदेशी आगमन

🚫 विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने में चुनौतियाँ

  • अंतरराष्ट्रीय प्रचार की कमी — बहुत कम वैश्विक मार्केटिंग या टूरिज्म टाई-अप
  • विदेशी भाषाओं में संकेतों की कमी — मंदिरों, बस स्टैंड, रेलवे, आदि में सीमित बोर्ड
  • स्वच्छता और सैनिटेशन तीर्थ स्थलों के पास असंगत और असंतुलित
  • मूलभूत सुविधाएँ जैसे शौचालय, साफ़ पानी, और कूड़ा प्रबंधन अभी भी कमजोर
  • स्वास्थ्य व स्वच्छता मानक स्थानीय बाज़ारों और भोजन क्षेत्रों में विदेशी पर्यटकों के अनुरूप नहीं

उत्तराखंड को विदेशी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए साफ-सफाई, बुनियादी सुविधाओं, बहुभाषी समर्थन, और व्यवहार सुधार के साथ-साथ स्थायी प्रचार अभियान चलाने की आवश्यकता है। हिमालयी प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक धरोहर और रोमांचक गतिविधियों के बावजूद, अगर ज़मीनी अनुभव बेहतर नहीं किया गया, तो राज्य वैश्विक स्तर पर पिछड़ सकता है।

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🕉️ आध्यात्मिक पर्यटन बना उत्तराखंड के पर्यटन का मुख्य आधार

उत्तराखंड में पर्यटन का परिदृश्य मुख्य रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक यात्राओं पर आधारित है, खासकर गढ़वाल क्षेत्र में। हरिद्वार, ऋषिकेश, केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे शहर हर साल लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं, जिससे राज्य में कुल पर्यटकों की संख्या काफी अधिक हो जाती है।

📊 धार्मिक पर्यटकों के उदाहरण (2023)

  • हरिद्वार: 3.7 करोड़ पर्यटक — गंगा आरती और धार्मिक मेलों के लिए प्रसिद्ध
  • केदारनाथ: 20 लाख तीर्थयात्री — चार धाम यात्रा का हिस्सा
  • ऋषिकेश और बदरीनाथ: आध्यात्मिक महत्व के कारण भारी संख्या में आगमन

📉 कुमाऊँ क्षेत्र अब भी कमज़ोर स्थिति में

इसके विपरीत, कुमाऊँ क्षेत्र — जो अपनी झीलों, पहाड़ियों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है — अपेक्षाकृत कम पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां बड़े धार्मिक केंद्रों की कमी, प्रचार की सीमितता और अवसंरचना की धीमी प्रगति एक चुनौती बनी हुई है।

  • नैनीताल: लगभग 8 लाख पर्यटक
  • रानीखेत: लगभग 1.25 लाख
  • कौसानी: लगभग 83 हज़ार

कुमाऊँ का फोकस प्रकृति-आधारित पर्यटन और शांति की तलाश करने वाले यात्रियों पर अधिक है, लेकिन धार्मिक केंद्रों की अनुपस्थिति और सीमित ब्रांडिंग इसकी पहुँच को सीमित करती है।

यह दर्शाता है कि उत्तराखंड के पर्यटन पैटर्न में संरचनात्मक असंतुलन है — गढ़वाल की तीर्थ स्थलों पर अत्यधिक निर्भरता और कुमाऊँ जैसे सुरम्य क्षेत्रों का कम विकास।

🌍 उत्तराखंड में विदेशी बनाम घरेलू पर्यटन: एक बड़ी असमानता

हिमालयी दृश्य, योग परंपरा और वन्यजीव अभ्यारण्यों जैसे संसाधनों के बावजूद, उत्तराखंड में विदेशी पर्यटकों की संख्या बहुत कम है। वर्ष 2023 में, राज्य में कुल आगंतुकों में से केवल 0.2% ही विदेशी पर्यटक थे, जबकि 99.7% भारतीय पर्यटक थे।

📊 प्रतिशत के आधार पर आँकड़े (2023)

  • विदेशी पर्यटक: लगभग 0.2%
  • घरेलू पर्यटक: लगभग 99.7%

यह बड़ा अंतर दर्शाता है कि उत्तराखंड की पर्यटन रणनीति मुख्य रूप से घरेलू तीर्थयात्रा और स्थानीय यात्राओं पर केंद्रित है। विदेशी पर्यटन, जो प्रति पर्यटक अधिक आर्थिक लाभ ला सकता है, अभी तक पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ है।

यदि राज्य अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग, वीज़ा प्रक्रिया की सरलता, स्वच्छता, बहुभाषी सहायता, और विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष अनुभव विकसित करता है, तो भविष्य में उत्तराखंड में विदेशी आगंतुकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

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🌐 उत्तराखंड में विदेशी पर्यटकों की रुचि: प्रमुख गंतव्यों पर रुझान (2021–2023)

उत्तराखंड में विदेशी पर्यटक अभी भी कुल पर्यटकों का एक छोटा हिस्सा हैं, लेकिन कुछ गंतव्य ऐसे हैं जहाँ 2021 से 2023 के बीच उत्साहजनक वृद्धि देखी गई है — वहीं कुछ लोकप्रिय स्थानों पर गिरावट भी दर्ज की गई। नीचे विभिन्न जिलों में विदेशी पर्यटकों से संबंधित मुख्य आँकड़े दिए गए हैं।

📈 जहाँ विदेशी पर्यटक बढ़े

  • टिहरी गढ़वाल: 2021 में 2,300 से बढ़कर 2023 में 47,177 (बढ़ोतरी का कारण – एडवेंचर टूरिज्म और टिहरी झील)
  • कोटद्वार व चिल्ला रेंज: 2021 में 638 से बढ़कर 2023 में 21,817 (राजाजी नेशनल पार्क और इको-टूरिज्म की भूमिका)
  • नैनीताल: 2021 में 633 से बढ़कर 2023 में 7,971 (धीरे-धीरे पुनर्जीवित हो रहा है लेज़र टूरिज्म)

📉 जहाँ विदेशी पर्यटक घटे

  • जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क: 2021 में 6,813 से घटकर 2023 में 4,721 (दुनिया भर में प्रसिद्ध होने के बावजूद गिरावट)

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि टिहरी और चिल्ला जैसे क्षेत्रों में विदेशी पर्यटन में अच्छी बढ़त देखी जा रही है, लेकिन कुल संख्या अभी भी बहुत कम है। जिम कॉर्बेट जैसे अंतरराष्ट्रीय आकर्षण की गिरती संख्या यह संकेत देती है कि उत्तराखंड को बेहतर प्रचार, आसान बुकिंग, और विदेशी पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध करानी होंगी।

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🧾 निष्कर्ष: उत्तराखंड पर्यटन में असमान विकास और अनदेखे अंतराल

उत्तराखंड में 2021 से 2023 के बीच पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली, जिसका मुख्य कारण घरेलू धार्मिक यात्राएं हैं। लेकिन यह वृद्धि संतुलित नहीं है। अधिकतर पर्यटक हरिद्वार (2023 में 3.7 करोड़) जैसे धार्मिक स्थलों तक ही सीमित रहे, जबकि कुमाऊँ क्षेत्र — जैसे नैनीताल, रानीखेत और कौसानी — में अपेक्षाकृत कम पर्यटक पहुँचे।

विदेशी पर्यटक अब भी बहुत सीमित हैं, और 2023 में कुल पर्यटकों का केवल 0.2% ही रहे। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त स्थलों में भी विदेशी यात्रियों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि टिहरी और कोटद्वार जैसे क्षेत्रों में बढ़त देखी गई है, लेकिन समग्र विदेशी पर्यटन अभी भी कमज़ोर स्थिति में है।

साथ ही, स्वच्छता, भीड़भाड़, और विदेशी-अनुकूल सुविधाओं की कमी जैसे पुराने मुद्दे आज भी बने हुए हैं — खासकर अधिक भीड़ वाले धार्मिक क्षेत्रों में।

जब तक क्षेत्रीय संतुलन, विविधता वाले पर्यटन और ज़मीनी स्तर पर बेहतर सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता, उत्तराखंड का पर्यटन विकास असंतुलित, अस्थायी और धार्मिक/मौसमी घटनाओं पर निर्भर बना रहेगा।

📊 डेटा स्रोत: उत्तराखंड पर्यटन विभाग – पर्यटन सांख्यिकी रिपोर्ट 2021–2023 (PDF)