🌾 उत्तराखंड में ग्रामीण रोज़गार की झलक (2025)

उत्तराखंड का ग्रामीण इलाका आज भी खेती और संबद्ध क्षेत्रों पर भारी निर्भर है। हाल ही के NITI Aayog रिपोर्ट (2025) के अनुसार, लगभग 47.4% कार्यबल कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन में कार्यरत है, जबकि 31.4% सेवाओं में और 20.3% निर्माण व विनिर्माण में लगे हैं। ये आँकड़े बताते हैं कि ग्रामीण विकास के लिए अब भी विविधीकरण की ज़रूरत है।

📊 सेक्टोरल वितरण (उत्तराखंड कार्यबल)

सेक्टर कार्यबल का हिस्सा (%)
कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन 47.4%
सेवाएँ 31.4%
निर्माण और विनिर्माण 20.3%

“उत्तराखंड में आज भी करीब आधी आबादी कृषि पर निर्भर है। यह राज्य की सबसे बड़ी ताक़त है, लेकिन यही ग्रामीण रोज़गार की सबसे बड़ी चुनौती भी है।”

🚜 कृषि: उत्तराखंड का सबसे बड़ा रोज़गार स्रोत

उत्तराखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था आज भी खेती और संबद्ध क्षेत्रों पर आधारित है। NITI Aayog (2025) की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के लगभग 47.4% कार्यबल कृषि में है। लेकिन उत्पादकता कम, सिंचाई की कमी और मार्केट तक पहुँच न होना बड़ी चुनौतियाँ हैं।

47.4%

कृषि में कार्यरत कार्यबल

31.4%

सेवाओं में कार्यरत

20.3%

निर्माण और विनिर्माण में

📊 रोजगार वितरण तुलना

“अगर कृषि में उत्पादकता और मूल्य संवर्धन (Value Addition) बढ़े तो उत्तराखंड का ग्रामीण रोज़गार सुरक्षित और टिकाऊ बन सकता है।”

🏭 गैर-कृषि रोज़गार के अवसर

उत्तराखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अब गैर-कृषि क्षेत्रों का योगदान भी बढ़ रहा है। सेवाएँ, निर्माण, पर्यटन और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्र नए रोज़गार अवसर दे सकते हैं। 2025 के आँकड़ों के अनुसार, लगभग 31.4% कार्यबल सेवाओं में और 20.3% निर्माण व विनिर्माण में कार्यरत है।

31.4%

सेवाओं में कार्यरत

20.3%

निर्माण और विनिर्माण

~10%

पर्यटन व होमस्टे

~8%

हस्तशिल्प व कुटीर उद्योग

📊 गैर-कृषि सेक्टर का योगदान

“ग्रामीण विकास के लिए केवल खेती पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं। सेवाएँ, पर्यटन और हस्तशिल्प ही असली विविधीकरण का रास्ता खोलेंगे।”

👩‍🌾 महिला और युवा रोज़गार की स्थिति

उत्तराखंड के ग्रामीण विकास में महिलाओं और युवाओं की भूमिका सबसे अहम है। हालिया PLFS 2023–24 रिपोर्ट के अनुसार, 15–29 वर्ष के युवाओं की बेरोज़गारी दर 14.2% से घटकर 9.8% हो गई है। वहीं, महिला श्रम भागीदारी (FLFPR) भी धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन अभी भी पुरुषों से काफी पीछे है।

9.8%

युवा बेरोज़गारी (2024)

34–36%

महिला श्रम भागीदारी दर

📉 युवा बेरोज़गारी दर (2018–2024)

👩‍🧑 पुरुष बनाम महिला श्रम भागीदारी दर

“अगर महिलाओं और युवाओं की पूरी क्षमता को जोड़ा जाए तो उत्तराखंड का ग्रामीण रोज़गार दो गुना तेज़ विकसित हो सकता है।”

🏔️ पलायन और खाली गाँव (Ghost Villages)

उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से युवाओं का पलायन एक गंभीर समस्या है। 2011: 1,053 पूरी तरह खाली गाँव; 2018 तक कुल ~1,787 निर्जन गाँव; और 2023–24 अनुमान: ≈1,900+.

1,053

पूरी तरह खाली गाँव (2011 Census)

1,787

कुल निर्जन गाँव (2018 डेटा)

≈1,900+

अनुमानित निर्जन गाँव (2023–24)

🗺️ उत्तराखंड — खाली गाँव मानचित्र

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📈 खाली गाँवों का ट्रेंड (2011–2024)

लाल = पूरी तरह निर्जन (official), पीला = आंशिक रूप से खाली (estimate). Hover करके मान देखें।

“पलायन रोकना केवल रोजगार पैदा करने से ही संभव है — ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विविधीकरण और सेवाओं की पुनर्स्थापना आवश्यक है।”

🏢 सरकारी योजनाएँ और ग्रामीण विकास कार्यक्रम

उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार की कई योजनाएँ ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन के लिए चल रही हैं। इनमें MGNREGS (ग्रामीण रोज़गार), NRLM (महिला सशक्तिकरण व SHGs) और PMGSY (ग्रामीण सड़कें) प्रमुख हैं। इन योजनाओं का असर सीधे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पलायन रोकने में दिखता है।

10 करोड़+

MGNREGS मज़दूरी दिवस (2024)

1.2 लाख+

NRLM महिला SHGs (उत्तराखंड)

20,000+ km

PMGSY ग्रामीण सड़कें (2024)

📊 MGNREGS रोजगार (2019–2024)

👩‍👩‍👧‍👧 NRLM महिला SHGs (2019–2024)

“ग्रामीण योजनाओं की सफलता का मतलब है सड़कें, काम और आत्मनिर्भर महिलाएँ। यही पलायन रोकने और गाँवों को जीवित करने की कुंजी है।”

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